जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता व पूर्व विधान पार्षद डॉ. रणबीर नंदन एक बार फिर भाजपा पर जमकर बरसे हैं। उन्होंने कहा की भाजपा की राजनीति की स्टाइल अब देश की जनता के सामने खुल चुकी है। भाजपा कभी भी अपने दम पर कुछ नहीं कर सकी है। बिहार में तो भाजपा का वजूद भी माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू की मेहरबानी से है। बिहार की जनता ने भाजपा को कभी तवज्जो नहीं दिया है।
डॉ. नंदन ने कहा कि भाजपा के नेता क्या इस बात से इनकार कर सकते हैं कि बिहार में सड़कों का जाल नीतीश सरकार में ही बिछा है? पीने के पानी को नल के जरिए नीतीश कुमार की योजनाओं ने ही बिछाया है। हर गांव नीतीश सरकार की योजना के कारण बिजली से रोशन है।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने बिहार की बेहतरी के लिए कभी कोई प्रयास नहीं किया। गया इतना बड़ा स्थान है, जहां पूरे विश्व से लोग आते हैं लेकिन गया के विकास में कभी आगे बढ़कर केंद्र सरकार ने मदद नहीं की। माता सीता के जन्मस्थान के विकास पर कभी कोई ध्यान नहीं दिया।
डॉ. नंदन ने कहा कि भाजपा के नेता आज नीतीश कुमार को कोसते हैं। अनर्गल आरोप मढ़ते हैं। जबकि हकीकत यह है कि नीतीश कुमार की वजह से बिहार में भाजपा को सत्ता में आने का मौका मिला। भाजपा ने तो बिहार में सत्ता में आने की कोशिश 1990 से ही शुरू की। लेकिन सफल नहीं हो सके। 1995, 2000 में भी भाजपा का यही हाल रहा। बिहार में सत्ता तब बदली जब माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने भरोसे का हाथ भाजपा को दिया। इसलिए भाजपा कभी भी अपने बूते सत्ता परिवर्तन कर सकती है, यह सोच ही भाजपा ने नेताओं की भूल है।
उन्होंने कहा कि भाजपा का राजनीतिक चरित्र सिर्फ सत्ता प्राप्ति तक सीमित है। न उसे राज्य से मतलब है, न जनता से, न समाज से और न ही लोकतंत्र-संविधान से। भाजपा ने सत्ता स्वार्थ में आकर कश्मीर में महबूबा मुफ्ती से हाथ मिला लिया। वहां सत्ता का सुख भोगा और फिर गठबंधन तोड़ दिया। यही हाल बिहार में भी भाजपा करना चाहती थी। सत्ता सुख के लिए भाजपा नेता नीतीश कुमार जी के आगे नतमस्तक होकर अपना सौम्य चेहरा सामने रखते हैं। लेकिन पीठ पीछे खंजर भोंकने वाला चरित्र ज्यादा देर छुप नहीं पाता। नतीजा ये हुआ कि भाजपा आज बिहार में संघर्ष करती दिख रही है।
डॉ. नंदन ने कहा कि भाजपा के नेताओं को बिहार में पहचान ही नीतीश कुमार की सरकार के कारण मिली है। इसलिए भाजपा का कोई नेता नीतीश कुमार पर बोलना तो दूर उनके सामने खड़ा होने लायक भी नहीं है। नीतीश कुमार ने बिहार को गढ़ा है, बिहारियों को अपना बनाया है। जबकि भाजपा ने सत्ता सुख के लिए बिहारियों के साथ धोखा किया है। ऐसा न होता तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के अभियान में भाजपा भी बिहारियों की इच्छा के साथ होती।
उन्होंने कहा कि भाजपा रचनात्मक की लड़ाई नहीं लड़ रही है। भाजपा समाज को बांटने वाली विध्वंसात्मक लड़ाई लड़ रही है। नीतीश कुमार के कारण भाजपा केंद्र की राजनीति में पिछड़ रही है। नीतीश जी हैं, जिनके प्रयासों ने विपक्ष को एकजुट कर दिया है। भाजपा के पास आज न सहयोगी दल हैं और न ही जनता। कर्नाटक एक उदाहरण है, आने वाले वक्त में ऐसे और भी दिखेंगे। राज्यों के साथ भाजपा केंद्र की सत्ता से भी बाहर होगी।