पूर्व स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने कहा कि दिल्ली में होने वाले नवनिर्मित संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्र के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा। इस मौके पर 60 हजार कर्मयोगी भी सम्मानित होंगे। मैं इस निर्माण के लिए केंद्र सरकार के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देता हूं। मगर नए भवन के उद्घाटन में विपक्षी दलों के नहीं आने की घोषणा व कार्यक्रम बहिष्कार लोकतंत्र का अपमान है।
केंद्र में बहुमत से चुनी सरकार है, उसकी ओर से देशहित में किए जाने वाले किसी कार्य को विपक्ष नजरअंदाज कैसे कर सकता है। पीएम मोदी उद्घाटन नहीं करेंगे तो कौन करेगा। जब कांग्रेस सत्ता में थी और उनके पीएम थे तो क्या वो नए भवनों का उद्घाटन नहीं करते थें। विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिरस्वरुप नए संसद भवन के निर्माण से हमारी प्रतिष्ठा और सम्मान बढ़ी है। जिससे विपक्ष विचलित है। कांग्रेस की अगुवाई में 19 विपक्षी दलों की ओर से उद्घाटन कार्यक्रम के बहिष्कार का एलान निंदनीय व अलोकतांत्रिक है।
श्री पांडेय ने कहा कि जब कांग्रेस शासन में थी तो देश में कई भवनों का शिलान्यास एवं उनका नामकरण अपने हिसाब से किया। ठीक उसी प्रकार मौजूदा सरकार को भी हक है कि वो देशहित से जुड़े विकास कार्यों को करें। एक आदर्श विपक्ष की भूमिका अच्छे कार्यों की प्रशंसा होती है न कि विरोध। संसद भवन राष्ट्र के लिए समर्पित होगा न कि किसी एक दल के लिए। ऐसे में विपक्ष का विचलित होना ये दर्शाता है कि देश में एक संकीर्ण सोच वाली विपक्ष हैै।
श्री पांडेय ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा परिवारबाद थोपा। उन्होंने कई शिक्षण संस्थानों व भवनों का नामकरण अपने ही परिवार के नाम पर किया। खुद की नहीं दूसरों की कमियां निकाल देश को गुमराह किया। वो केवल विरोध की राजनीति करती है। वो कभी कोरोना में वैक्सीन का विरोध, नगरिकता कानून का विरोध, कृषि बिल का विरोध, धारा – 370 हटने का विरोध, नयी शिक्षा नीति का विरोध, सर्जिकल स्ट्राइक का विरोध, राम मंदिर निर्माण का विरोध, पीएम के विदेश जाने समेत अन्य विरोध में लगी रहती है। जनहित से जुड़े कार्य में सहभागी बनना उनकी कार्यशैली नहीं रही है।