कुछ महीने पहले सारण जिले में यादव और राजपूतों के बीच मारपीट हुई थी। हिंसक झड़प में राजपूतों पर यादव भारी पड़े थे। इस घटना के कुछ दिन बाद राजपूतों को सांत्वना देने भाजपा के एक वरिष्ठ नेता पहुंचे। राजपूतों को सांत्वना देने के बाद वे अपनी जमात में पहुंचे। वहां उनके स्वजातीय लोगों भीड़ जुट गयी। उन्होंने अपने स्वजातीय लोगों को समझाया कि यादव जाति वाले जब राजपूतों को नहीं छोड़ रहे हैं तो ‘कोईरी-कहार’ किस खेत की मूली हैं। भाजपा के नेता अपने स्वजातीय लोगों को तेजस्वी यादव का भय दिखा रहे थे या नित्यानंद राय का डर, यह बात अब तक समझ में नहीं आयी है।
अहीरों के खिलाफ नफरत की खेती करने वाली भाजपा अब यादवों को ‘पगहा की ऐंठन’ समझा रही है। शनिवार को भाजपा के जनप्रतिनिधि की ओर से पटना के बोरिंग रोड के एक होटल में शानदार भोज का आयोजन किया गया। इसमें भाजपा के सभी विधायकों के साथ ही सांसद नित्यानंद राय और प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी भी शामिल थे। विधायकों के अलावा एकाध पूर्व विधायक और कई अन्य लोग भी शामिल थे।
भाजपा अब तक चाय पर चर्चा करती थी, शनिवार को भोज पर चर्चा का आयोजन किया। इस मौके पर संगठन महामंत्री भिखूभाई दलसानिया ने पार्टी सांसद, विधायक और अन्य नेताओं को यादवों को भाजपा के साथ जोड़ने का मंत्र समझाया। प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने भी कहा कि पार्टी यादवों को सत्ता में साझीदार बनाने का हरसंभव प्रयास कर रही है और आपलोग यादवों को वोट में साझीदार बनाइए। लेकिन भाजपा की त्रासदी यह है कि भाजपा के कोई भी सांसद या विधायक सार्वजनिक और राजनीतिक मंच पर यादवों के हित की बात नहीं करते हैं। आपको भी यादव नेता का ऐसा बाईट नहीं मिलेगा, जो राजनीति के खुले मंच पर यादव की बात कर रहे हों। एक बार हमने अपनी खबर के माध्यम से भूपेंद्र यादव (तत्कालीन प्रभारी) और नित्यानंद राय (तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष) से सवाल पूछ लिया था कि आपलोगों ने जाति के लिए कौन सा काम किया है। जवाब आज तक नहीं मिला।
भाजपा वाले सार्वजनिक मंच पर यादव की बात नहीं कर सकते हैं, इसलिए होटल में चर्चा कर रहे हैं। गोपनीय बैठक। कुछ सेलेक्टेड लोग बुलाए जाते हैं। स्वाभाविक है, होटल का भुगतान भी बड़ा सवाल है। भाजपा की यह पहल तेजस्वी यादव के लिए खतरे का संकेत जरूर है। राजद में सत्ता सुख भोग चुका हर नेता नाराज होने पर भाजपा की दामन थाम रहा है। यह भी विडंबना है कि वर्तमान भाजपा में 80 फीसदी से अधिक यादव नेता लालटेन की रोशनी में राजनीति की ककहरा पढ़ कर कमल खिलाने में जुटे हैं।
भाजपा का यादव जोड़ो अभियान से तेजस्वी यादव के लिए फिलहाल ज्यादा खतरा नहीं है, लेकिन तिल का ताड़ बनते देर नहीं लगती है। तेजस्वी यादव सत्ता की व्यस्तता में समाज को पीछे छोड़ते जा रहे हैं। यादवों में नाराजगी की एक बड़ी वजह तेजस्वी यादव का ‘पहुंच से दूर’ हो जाना है। भाजपा इसी गैप को भरने के लिए यादवों के साथ नये सिरे से कोशिश शुरू कर रही है। इसका जिम्मा प्रदेश अध्यक्ष ‘महतोजी’ को सौंपा गया है और अब वे यादवों को पगहा की ऐंठन समझा रहे हैं। यह प्रयास कितना सफल होते हैं, यह समय बताएगा। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि भाजपा वाले यादव ‘पहुंच से दूर’ नहीं हैं, लेकिन समझ से परे जरूर हैं।