नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने बिहार सरकार के राजस्व व भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता के ताजा बयान जिसमें सवर्णों को निशाना बनाते हुए कहा गया है कि ये ‘10% वाले तो अंग्रेजों के दलाल थे और मंदिरों में घन्टा बजाते थे’ को घोर आपत्तिजनक और विद्वेषतात्मक करार दिया है। उन्होंने कहा है कि इस तरह का बयान देकर मंत्री समाज में सवर्णों व सनातनियों के प्रति नफरत और जहर फैलाने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं।
श्री सिन्हा ने कहा कि राजद के बयानवीरों को बताना चाहिए कि आजादी की पहली लड़ाई ‘सिपाही विद्रोह’ के नायक मंगल पांडेय और उसके बाद अंग्रेजों को नाकों चने चबवाने वाले वीर बांकुड़ा बाबू कुंवर सिंह कौन थे? क्या अंग्रेजों के खिलाफ जंग लालू यादव के जातीय उन्माद पर लड़ी गई थी? क्या सौ वर्षों की जंग-ए-आज़ादी में असंख्य आहुतियां देने वाले किसी एक जाति व धर्म के लोग थे?
उन्होंने कहा है कि राजद की बुनियाद ही जातीय उन्माद व नफरत पर टिकी हुई है। चोर दरवाजे से सत्ता हासिल करने वाला राजद का मकसद एक बार फिर से बिहार को जातीय नफरत की आग में झोंकना है। जंगल और गुंडाराज के खलनायक राजद जाति व धर्म के आधार पर वोटरों का ध्रुवीकरण करने का घृणित प्रयास कर रहा है। वहीं, राज्य में व्याप्त अपराध व भ्रष्टाचार से ध्यान भटकाने के लिए यह सारा खेल किया व कराया जा रहा है, जो आगे भी जारी रहेगा।
श्री सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की शह पर जातीय व धार्मिक आधार पर गोलबंदी के लिए सोची-समझी साजिश के तहत इस तरह के कुत्सित बयान दिए जा रहे हैं। कभी लालू यादव ने ‘भूरा बाल साफ करो’ का नारा दिया था तो उसी राह पर चलकर उनके पुत्र तेजस्वी ‘अगड़ों’ को गाली दिलवा रहे हैं। राजद व जदयू दिखावे के लिए नूरा-कुश्ती कर रहा है,किसी की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। जातीय-धार्मिक उन्माद फैलाने के इस खेल को बिहार की जनता बखूबी समझ रही है।
बिहार की जनता भाजपा व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास व सबका प्रयास ‘ के साथ है। राजद का कुत्सित प्रयास कभी सफल होने वाला नहीं है।